सरकार और बाबा रामदेव के बीच अनशन शुरू होने से पहले ही कथित समझौता हो जाने संबंधी एक पत्र की पोल खुल जाने के चलते शनिवार शाम घटनाक्रम ने अचानक नाटकीय मोड़ ले लिया. अनशन समाप्त होने की जगह गतिरोध तब गहरा गया, जब सरकार ने योगगुरु के एक करीबी का लिखा वह पत्र जारी कर दिया, जो कहता है कि रामदेव अपना अनशन बीच में ही समाप्त कर देंगे.
बातचीत विफल रहने के बाद दोनों पक्षों के बीच वादों को तोड़ने के आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. रामदेव ने सरकार पर ‘विश्वासघात और धोखेबाजी’ करने का आरोप लगाया.
केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं के समक्ष रामदेव के करीबी आचार्य बालकृष्ण का लिखा एक पत्र जारी किया. इसके बाद योगगुरु ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह ‘विश्वासघात और धोखेबाजी’ कर रही है. रामदेव ने कहा कि वह अब सिर्फ प्रधानमंत्री की ही बात पर यकीन करेंगे, जिनका वह अब भी सम्मान करते हैं.
इससे कुछ क्षण पहले ही बाबा रामदेव ने शाम को सरकार द्वारा उनकी मांगें मान लिये जाने की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार की ओर से लिखित आश्वासन आने पर वह अनशन तोड़ देंगे. अनशन स्थल का माहौल इस घटनाक्रम को देखते हुए विजयी उत्साह से सराबोर होने लगा और शनिवार को ही अनशन समाप्त होने की संभावनाएं सामने आने लगीं.
इसके कुछ ही क्षण बाद इस सत्याग्रह को खत्म करने के बारे में सरकार की सहमति से पूर्व में ही लिखी गयी पटकथा का खुलासा जब मीडिया ने किया, तो अचानक बात बनते-बनते बिगड़ गयी. इस पत्र पर रामदेव के विश्वस्त सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के हस्ताक्षर हैं. पत्र की बात सामने आते ही सब कुछ शीर्षाशन की मुद्रा में नजर आने लगा.
रामदेव संवाददाताओं द्वारा बार-बार किये गये इस सवाल का जवाब नहीं दे पाये कि जब सरकार के साथ उनका लिखित समझौता हो चुका था, तो उन्होंने अनशन का ‘नाटक’ क्यों किया और समझौते की बात को जनता से और अपने समर्थकों से क्यों छिपाकर रखा.
सिब्बल ने अपने संवाददाता सम्मेलन में बाबा को ‘नरम-गरम’ संदेश देते हुए कहा कि सरकार ने अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर दिया है. रामदेव को गलतफहमी थी कि विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के बारे में फैसला सरकार द्वारा गठित समिति करेगी, जबकि इस समिति को इस बारे में कानून बनाने का तौर-तरीका तय करना था. सिब्बल ने कहा कि सरकार इस बात को मान चुकी है. इस मुद्दे पर कोई अध्यादेश जारी करने की संभावना से इनकार करते हुए मंत्री ने वस्तुत: चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार की नर्मी को कोई कमजोरी नहीं समझे.
सिब्बल ने कहा कि अगर हम बात सुन सकते हैं तो हम कठोर भी हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि बातचीत को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिये.
सिब्बल के जारी पत्र का मजमून सामने आने के बाद में बाबा रामदेव संवाददाताओं के सवालों से बुरी तरह घिर गये और उन्हें पहले से ही लिखी पटकथा के बारे में जवाब देते नहीं बना कि आखिर जब सब कुछ पहले से तय था तो उन्होंने देश भर के लोगों को अनशन और सत्याग्रह के लिये क्यों बुलाया.
रामदेव के कहने का आशय था कि सरकार ने अगले दो दिन के भीतर उनकी सभी मांगें पूरा करने का लिखित वादा करने की बात कही थी और यह पत्र अनशन समाप्त करने का हमारी ओर से आश्वासन था.
बहरहाल, नैतिकता के शीर्ष पर बैठे नजर आने वाले रामदेव इन सवालों के दबाव में शीर्षाशन करते दिखने लगे और उन्होंने अपने तेवर अचानक कड़े करते हुए कहा कि वह जेल जाने से नहीं डरते और अपने समर्थकों के बीच उन्होंने बात-बात पर हुंकार भरवाना शुरू कर दिया.
सरकार की मुद्रा से रामदेव सकते में आ गये और उन्होंने अपनी तीनों मांगें पूरी होने तक सत्याग्रह जारी रखने का फिर ऐलान किया. तीन मांगें यानी कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना, कालेधन को जब्त करने के लिये कानून बनाना और कड़ी सजा देना तथा कर चोरी के पनाहगाहों में जाने वालों पर नजर रखना.
कपिल सिब्बल के पत्र सार्वजनिक कर देने से सकपकाये रामदेव ने कहा, ‘‘कपिल सिब्बल झूठे हैं. मैं उनसे जीवन में कभी बात नहीं करूंगा.’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और उनके निर्णयों पर उन्हें अब भी विश्वास है.
सवालों के जवाब में रामदेव ने सफाई दी कि यह पत्र मंत्रियों के आग्रह के बाद दिया गया था. उनके अनुसार, मंत्री इस पत्र के जरिये प्रधानमंत्री को यह बताना चाहते थे कि रामदेव का अनशन अनिश्चितकालीन नहीं चलेगा और न ही इस आंदोलन का मकसद सरकार को अस्थिर करना है.
बाबा रामदेव का कहना था कि उनकी अगवानी के लिये चार मंत्रियों के हवाई अड्डे से पहुंचने से सरकार अपना फजीहत महसूस कर रही थी और इसी कारण यह पत्र लिखवाया.
सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने रामदेव से फोन पर बातचीत कर उन्हें आश्वासन दिया था कि सरकार एक कानून बनाने और समिति गठित करने के लिये प्रतिबद्ध है और इस दिशा में प्रयास आगे बढ़ रहे हैं. हालांकि, मंत्री ने साफ किया कि इस संबंध में अध्यादेश जारी करने की कोई संभावना नहीं है.
सिब्बल ने कहा कि सरकार रामदेव को समिति गठित होने के आश्वासन संबंधी पत्र भेजेगी. रामदेव की कलई खोलने के फैसले का बचाव करते हुए सरकार के सूत्रों ने कहा कि योगगुरु लगातार अपना रुख बदल रहे थे.
सूत्रों ने कहा कि रामदेव ने अपराह्न चार बजे तक अनशन खत्म करने का वादा किया था और जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें यह साफ तौर पर बताना पड़ा कि सरकार पत्र को जारी करने जा रही है.
सूत्रों ने कहा कि रामदेव ने अपराह्न चार बजे तक अनशन खत्म करने का वादा किया था और जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें यह साफ तौर पर बताना पड़ा कि सरकार पत्र को जारी करने जा रही है.
इससे पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे बाबा रामदेव ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कहा कि उन्हें डराने के प्रयास किए जा रहे हैं और चेतावनी दी कि अगर उन पर प्रहार हुआ तो वे चुप नहीं बैठेंगे.
दोपहर में दो घंटे के विराम के बाद मंच पर फिर लौटने पर उन्होंने संभवत: कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ‘‘कुछ लोग गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां कर रहे हैं कि मैं अस्थिरता पैदा करना चाहता हूं. मैंने हिन्दू-मुसलमानों में, जाति या क्षेत्र आधारित फूट नहीं डाली है.’’
बाबा रामदेव ने कहा, ‘‘सचाई की इस लड़ाई में मैं पहला प्रहार नहीं करूंगा, लेकिन अगर मुझ पर हमला हुआ तो चुप भी नहीं बैठूंगा.’’
आरएसए और भाजपा के रिमोट कंट्रोल से संचालित होने के कांग्रेस के आरोप पर रामदेव ने कहा, ‘‘मैं भाजपा या आरएसएस का एजेंट नहीं हूं. मैं किसानों और श्रमिकों का एजेंट हूं. हम किसी पार्टी या व्यक्ति के विरुद्ध नहीं हैं.’’
सुबह अनशन पर बैठने पर उन्होंने आरोप लगाया था कि वह अपना आंदोलन नहीं चला पाएं इसके लिए ‘षड्यंत्र’ हो रहे हैं, लेकिन इस अरोप के बारे में उन्होंने अधिक कुछ कहने से इनकार कर दिया. योग गुरु ने कहा कि वे न तो कोई राजनीतिक पद चाहते हैं और न ही चुनाव लड़ना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘अगर मुझे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनने की पेशकश की जाती है तो भी मैं नहीं बनूंगा.’’
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ‘ईमानदार व्यक्ति’ बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर सरकार सही नीयत से उनके मुद्दों को लेती है और उनकी मांग को स्वीकार करती है, तो इसका श्रेय वे सरकार को ही देंगे. उन्होंने कहा कि वे यहां कोई नौकरी या आरक्षण पाने के लिए नहीं आए हैं.
बाबा रामदेव ने कहा, ‘‘मैं भीख मांगने नहीं आया हूं. मैं उस बात की मांग कर रहा हूं जो देश के लिए सही है.’’
यह पूछे जाने पर कि क्या अन्ना हजारे द्वारा लोकपाल विधेयक मसौदा तैयार करने के लिए संयुक्त समिति गठित करने को स्वीकार करना, गलती थी, रामदेव ने कहा कि वे इस गांधीवादी कार्यकर्ता पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि हजारे उनके साथ हैं.
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